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6. पौधों में पोषण
पोषण :- जीवों द्वारा भोजन के रूप में पोषक तत्वों को ग्रहण कर उसका उपयोग करना पोषण कहलाता है।
भोजन में उपस्थित पोषक तत्व :- भोजन में निम्नलिखित पोषक तत्व मौजूद होते हैं– जैसे :- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज तथा विटामिन आदि।
लगभग 50 रासायनिक पदार्थ भोजन में उपस्थित रहते हैं, जिन्हें पोषक तत्व कहा जाता है।
पोषण के प्रकार :- जीवों में पोषण दो प्रकार के होते है –
- स्वपोषण
- परपोषण
स्वपोषण :- पोषण की वह विधि जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, स्वपोषण कहलाता है। सभी हरे पौधे में भोजन का निर्माण स्वपोषण विधि से होता है।
परपोषण :- पोषण की वह विधि जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बनाकर किसी अन्य स्त्रोतों से प्राप्त करते है, परपोषण कहलाता है। जैसे गाय, मनुष्य, बकरी, पक्षी आदि में परपोषण पाया जाता है।
प्रकाश संश्लेषण :- हरे पौधों द्वारा अपना भोजन सूर्य के प्रकाश के उपस्थिति में तैयार करना प्रकाश संश्लेषण कहलाता है।
अर्थात
पेड़-पौधे द्वारा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अपना भोजन निर्माण करने की प्रक्रिया को प्रकाशसंश्लेषण कहते हैं।
प्रकाशसंश्लेषण के फलस्वरूप जल के टूटने से ऑक्सीजन निकलता है।
- हरे पौधों में भोजन का उत्पादन पत्तियों में होता है।
- हरे पत्तियों को पौधों के भोजन उत्पादन का कारखाना भी कहा जाता है।
- हरितलवक या क्लोरोप्लास्ट हरे पौधों के पत्तियों में पाए जाते है। हरितलवक में ही क्लोरोफिल पाया जाता है।
- क्लोरोफिल के कारण पत्तियों का रंग हरा होता है।
स्टोमाटा :- हरे पौधों के पत्तियों के निचली सतह पर छोटे-छोटे छिद्र होते है जिसे स्टोमाटा या रंध्र कहा जाता है।
स्टोमाटा के द्वारा ही हरे पौधे कार्बन डाइऑक्साइड तथा ऑक्सीजन को बाहर निकालते हैं।
प्रकाश संश्लेषण के लिए चार पदार्थों की आवश्यकता होती हैं-
- पर्णहरित या क्लोरोफिल- यह पत्तियों में पाया जाता है।
- कार्बनडाइऑक्साइड- पौधे इसे वायुमंडल से प्राप्त करते हैं।
- जल- पौधे इसे भूमि से प्राप्त करते हैं।
- सूर्य प्रकाश- इसे पौधे सूर्य से प्राप्त करते हैं।
प्रकाश संश्लेषण के फलस्वरूप कार्बोहाइड्रेट और ऑक्सीजन प्राप्त होता है।
नोट :- जब प्रकाश संश्लेषण-प्रक्रिया नहीं होगी तो हमारी पृथ्वी पर पौधे नहीं होंगे। ऐसी स्थिति में पूरा जीव खत्म हो जाएगा।
पृथ्वी पर सभी के लिए ऊर्जा का मूल स्त्रोत सूर्य है।
पौधे समान्यत: स्वपोषी होते हैं, लेकिन कुछ पौधे परपोषी होते हैं।
परपोषी पौधे के प्रकार :– परपोषी पौधे निम्नलिखित प्रकार के होते है—
- मृतजीवी पोषण
- परजीवी पोषण
- कीटहारी पोषण
- सहजीवी पोषण
1. मृतजीवी पोषण— जो पौधे सड़े–गले पौधों या मृत जन्तुओं के सड़ रहे शरीर से अपना भोजन ग्रहण करते है, तो पोषण की इस विधि को मृतजीवी पोषण कहते हैं।
- फूफूँद , कुकुरमुत्ता , या मशरूम ये मृतजीवी पोषण के उदाहरण है
- फूफूँद सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ पर उगते है। जैसे गेहूँ, छन्ना, दाल, आचार, मुरब्बा आदि। यह ज्यादातर मवेशियों के मल पर उगते हैं।
- फफूँद के सूक्ष्म बीजाणु या स्पोर हवा में उपस्थित होते हैं। जो हवा के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर फैलते हैं।
2. परजीवी पोषण :- जिसमे जीव अन्य जीवित प्राणी के शरीर से अपना भोजन प्राप्त करता है, परजीवी पोषण कहलाता है। जैसे :- अमरबेल (तना परजीवी है), रैपलेसिया (जड़ परजीवी है)
अमरबेल का पौधा हरे-भरे वृक्षों पर फैले होते हैं, यह जिस पेड़ पर रहते हैं, उसी से अपना भोजन ग्रहण करते हैं।
3. कीटहारी :- वैसे जीव जो कीटों को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं, कीटहारी कहलाते है जैसे :- घटपर्णी या कलश पौधा या नीपैन्थीज (असम में पाया जाता है ) ड्रोसेरा, वीनस फ्लाई-ट्रैप आदि USA में पाई जाती है।
4. सहजीवी पोषण :- वह पोषण जिसमे भिन्न-भिन्न प्रकार के दो जीव पोषण के लिए एक दूसरे पर आश्रित होते है, सहजीवी पोषण कहलाते है। जैसे :- कवक और शैवाल।
दो फसलों के बीच दलहनी फसलों को लगाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इनके जड़ों में राइजोबियम नामक जीवाणु पाया जाता है, जो वायुमंडल से मिट्टी में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करता है। जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।
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