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13. मिट्टी
पृथ्वी के ऊपरी परत को मिट्टी कहते हैं।
मिट्टी का निर्माण— तेज धूप के कारण चट्टानें गर्म होकर उसमें दरारें पड़ जाती है। ठंछ या वर्षा के कारण चट्टानें टूटने लगती है। जिसमें चट्टानों के अंदर पेड़, पौधों की पत्तियाँ, मृत सजीवों के अवशेष मिल जाते हैं। पवन, जल और जलवायु की क्रिया से चट्टानों के टूटने पर मिट्टी का निर्माण होता है।
पवन, जल और जलवायु के कारण चट्टानों का टूटकर मृदा का निर्माण होना अपक्षय कहलाता है।
मिट्टी में उपस्थित सड़े-गले जैव पदार्थ ह्यूमस कहलाता है।
मिट्टी की तीन परतें होती है।
- शीर्ष मृदा
- मध्य परत
- अध:स्तर
मिट्टी की सबसे ऊपरी परत ह्यूमस और खनिज से भरपूर होती है। छोटे पौधें की जड़ें इसी मृदा में होती है।
मध्य परत में खनिज अधिक होते हैं। यह अधिक कठोर और अधिक घनी होती है।
तीसरी परत काफी कठोर होती है। इसे कुदाल से खोदना कठिन होता है। इसे अध:स्तर भी कहते हैं।
मिट्टी के प्रकार—
1. बलुई मिट्टी— यदि मिट्टी में बड़े कणों का अनुपात (मात्रा) अधिक हो, तो उसे बलुई मिट्टी कहते हैं। इसमें बालू की मात्रा अधिक होती है। इनके बीच खाली स्थान होते हैं। यह हल्की और शुष्क होती है। इसमें जल धारण करने की क्षता कम होती है।
2. चिकनी मिट्टी— यदि मिट्टी में सूक्ष्म कणों का अनुपात अधिक होता है, तो उसे चिकनी मिट्टी कहते हैं। इनके बीच रिक्त स्थान कम होता है। इसमें जल धारण करने की क्षमता सबसे अधिक होती है। यह भारी होता है।
3. दोमट मिट्टी— यदि मिट्टी में बड़े और छोटे कणों की मात्रा लगभग समान होती है, तो उसे दोमट मिट्टी कहते हैं। पेड़-पौधों को उगाने के लिए सबसे अच्छी मिट्टी होती है। इसमें ह्यूमस होती है। इसमें उचित मात्रा में पादपों की वृद्धि के लिए जल धारण करने की क्षमता होती है।
मिट्टी द्वारा अपने अंदर जल को रोके रखने को मिट्टी में नमी कहते हैं।
चिकनी मिट्टी का उपयोग बर्तनों, खिलौनों, मूर्तियों को बनाने के लिए किया जाता है।
गेहूँ, मक्का, चना, धान की खेती के लिए चिकनी एवं दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।
मसूर, अरहर और अन्य दालें तथा आलू की खेती के लिए दोमट एवं बलुई मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।
मृदा अपरदन— पवन, जल या बर्फ द्वारा मिट्टी के ऊपरी सतह का हटना अपरदन कहलाता है।
मिट्टी का अपरदन मरूस्थल अथवा बंजर भूमि जैसे स्थानों पर अधिक होता है।
पेड़-पौधे लगाकर मृदा अपरदन को रोका जा सकता है क्योंकि पादपों की जड़े मिट्टी को मजबुत से बाँध कर रखते हैं।
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